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रुद्राक्ष Rudraksha

Rudraksha रुद्राक्ष किस राशि में कितने मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए? रुद्राक्ष से क्या लाभ है? गले में कौन सा रुद्राक्ष पहनना चाहिए? सबसे अच्छा रुद्राक्ष कौन सा है?

राशि के अनुसार रुद्राक्ष रुद्राक्ष की पहचान रुद्राक्ष के फायदे

रुद्राक्ष, एक पवित्र और आध्यात्मिक माला, भगवान शिव से संबंधित है और इसे पहनने से कई लाभ होते हैं। विभिन्न मुखी (फेस) रुद्राक्ष अलग-अलग राशियों और उद्देश्यों के लिए उपयुक्त होते हैं। यहाँ राशि के अनुसार रुद्राक्ष, रुद्राक्ष के लाभ, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है:

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राशि के अनुसार रुद्राक्ष

  1. मेष (Aries): 3 मुखी, 6 मुखी
  2. वृषभ (Taurus): 7 मुखी
  3. मिथुन (Gemini): 4 मुखी
  4. कर्क (Cancer): 2 मुखी, 3 मुखी
  5. सिंह (Leo): 12 मुखी
  6. कन्या (Virgo): 4 मुखी
  7. तुला (Libra): 6 मुखी
  8. वृश्चिक (Scorpio): 11 मुखी
  9. धनु (Sagittarius): 5 मुखी
  10. मकर (Capricorn): 7 मुखी
  11. कुंभ (Aquarius): 9 मुखी
  12. मीन (Pisces): 5 मुखी

रुद्राक्ष से लाभ

  1. आध्यात्मिक विकास: रुद्राक्ष पहनने से ध्यान और ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
  2. स्वास्थ्य लाभ: विभिन्न मुखी रुद्राक्ष अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं के लिए फायदेमंद होते हैं।
  3. शांति और सुकून: मानसिक शांति और तनाव को कम करने में सहायता करता है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा: नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है।
  5. सुरक्षा: बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है।

गले में कौन सा रुद्राक्ष पहनना चाहिए?

गले में पहनने के लिए 5 मुखी रुद्राक्ष सबसे आम और उपयोगी माना जाता है। यह सामान्य स्वास्थ्य, शांति, और सकारात्मकता को बढ़ावा देता है।

सबसे अच्छा रुद्राक्ष कौन सा है?

“सबसे अच्छा” रुद्राक्ष की परिभाषा व्यक्ति विशेष के आवश्यकताओं और उद्देश्यों पर निर्भर करती है। हालांकि, सामान्यतः 1 मुखी, 5 मुखी, और 9 मुखी रुद्राक्ष को विशेष रूप से पवित्र और लाभकारी माना जाता है।

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रुद्राक्ष की पहचान

  1. जल परीक्षण: असली रुद्राक्ष पानी में डालने पर डूबता है जबकि नकली रुद्राक्ष तैर सकता है।
  2. छिद्र: असली रुद्राक्ष में प्राकृतिक छिद्र होते हैं जो इसे आसानी से पहचाना जा सकता है।
  3. बुनावट: असली रुद्राक्ष की सतह पर स्पष्ट और प्राकृतिक बुनावट होती है।
  4. वजन: असली रुद्राक्ष थोड़ा भारी होता है जबकि नकली हल्का हो सकता है।

रुद्राक्ष के फायदे

  1. आध्यात्मिक लाभ: आत्मा की शुद्धि और ध्यान में सुधार।
  2. मानसिक लाभ: मानसिक शांति, तनाव और चिंता से राहत।
  3. शारीरिक लाभ: स्वास्थ्य में सुधार, रक्तचाप को संतुलित करना।
  4. आर्थिक लाभ: धन और समृद्धि में वृद्धि।
  5. सामाजिक लाभ: व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में समृद्धि और खुशी।

रुद्राक्ष का सही चुनाव और उपयोग व्यक्ति की राशि, आवश्यकताओं और उद्देश्यों पर निर्भर करता है। इसे पवित्रता और सम्मान के साथ पहनना चाहिए।

राशि के अनुसार रुद्राक्ष पहनना

यह माना जाता है कि हर राशि के लिए कुछ खास रुद्राक्ष होते हैं जो उस राशि के जातक के लिए विशेष लाभकारी होते हैं।

यहाँ राशि के अनुसार रुद्राक्ष पहनने का विवरण दिया गया है:

मेष राशि: 1, 3, 9, 14 मुखी रुद्राक्ष

वृषभ राशि: 6, 11, 12 मुखी रुद्राक्ष

मिथुन राशि: 4, 7, 13 मुखी रुद्राक्ष

कर्क राशि: 2, 8, 10 मुखी रुद्राक्ष

सिंह राशि: 9, 14, 21 मुखी रुद्राक्ष

कन्या राशि: 4, 10, 13 मुखी रुद्राक्ष

तुला राशि: 6, 11, 12 मुखी रुद्राक्ष

वृश्चिक राशि: 3, 8, 9 मुखी रुद्राक्ष

धनु राशि: 1, 14, 18 मुखी रुद्राक्ष

मकर राशि: 7, 10, 13 मुखी रुद्राक्ष

कुंभ राशि: 8, 11, 12 मुखी रुद्राक्ष

मीन राशि: 2, 9, 12 मुखी रुद्राक्ष

ध्यान दें:

  • यह केवल एक सामान्य मार्गदर्शन है।
  • अपनी राशि के लिए उचित रुद्राक्ष का चयन करने के लिए किसी ज्योतिषी या अनुभवी व्यक्ति से सलाह लेना उचित है।
  • रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसकी शुद्धि और मंत्र विधि से प्राण प्रतिष्ठा अवश्य करवा लें।

रुद्राक्ष के लाभ

रुद्राक्ष धारण करने के अनेक लाभ बताए गए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:

  • ग्रहों के दोषों को दूर करता है: रुद्राक्ष ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने और अनुकूल प्रभावों को बढ़ाने में मदद करते हैं।
  • मानसिक शांति प्रदान करता है: रुद्राक्ष धारण करने से मन शांत होता है और तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
  • एकाग्रता बढ़ाता है: रुद्राक्ष एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाने में सहायक होते हैं।
  • स्वास्थ्य लाभ: रुद्राक्ष रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।
  • आत्मविश्वास बढ़ाता है: रुद्राक्ष धारण करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में सफलता प्राप्ति में सहायता मिलती है।

गले में कौन सा रुद्राक्ष पहनना चाहिए?

गले में 1 मुखी रुद्राक्ष पहनना सबसे शुभ माना जाता है।

यह भगवान शिव का प्रतीक है और इसे धारण करने से सभी ग्रहों का दोष दूर होता है।

लेकिन, आप अपनी राशि के अनुसार भी रुद्राक्ष चुन सकते हैं।

यह भी ध्यान रखें कि गले में पहनने के लिए रुद्राक्ष का आकार मध्यम होना चाहिए, न ज्यादा बड़ा और न ज्यादा छोटा।

सबसे अच्छा रुद्राक्ष कौन सा है?

सबसे अच्छा रुद्राक्ष वह है जो प्राकृतिक रूप से निर्दोष हो, जिसके मुख स्पष्ट और सुंदर हों, और जिसकी सतह चिकनी और चमकदार हो।

यह भी महत्वपूर्ण है कि रुद्राक्ष किसी अनुभवी व्यक्ति द्वारा धारण करने योग्य घोषित किया गया हो।

रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें:

असली और नकली रुद्राक्ष में अंतर करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि नकली रुद्राक्ष से लाभ नहीं होता है।

यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप असली रुद्राक्ष की पहचान कर सकते हैं:

1. देखावट:

  • रंग: असली रुद्राक्ष का रंग गहरा भूरा या लाल-भूरा होता है। नकली रुद्राक्ष का रंग हल्का भूरा या काला हो सकता है।
  • मुख: असली रुद्राक्ष के मुख स्पष्ट, गहरे और अच्छी तरह से परिभाषित होते हैं। नकली रुद्राक्ष के मुख उथले, धुंधले और अनियमित हो सकते हैं।
  • सतह: असली रुद्राक्ष की सतह चिकनी और चमकदार होती है। नकली रुद्राक्ष की सतह खुरदरी या छिद्रपूर्ण हो सकती है।

2. वजन:

  • असली रुद्राक्ष अपने आकार के हिसाब से भारी होते हैं। नकली रुद्राक्ष हल्के होते हैं।

3. पानी में परीक्षण:

  • असली रुद्राक्ष पानी में डूब जाते हैं। नकली रुद्राक्ष पानी में तैर सकते हैं।

4. खरोंच परीक्षण:

  • असली रुद्राक्ष को खरोंचने पर उसका रंग नहीं बदलता है। नकली रुद्राक्ष को खरोंचने पर उसका रंग हल्का हो सकता है।

5. गंध परीक्षण:

  • असली रुद्राक्ष में मिट्टी की तरह की गंध होती है। नकली रुद्राक्ष में कोई गंध नहीं होती है।

6. चुंबकीय परीक्षण:

  • असली रुद्राक्ष चुंबक से आकर्षित नहीं होते हैं। नकली रुद्राक्ष चुंबक से आकर्षित हो सकते हैं।

यह भी ध्यान रखें:

  • खरीददारी: हमेशा किसी विश्वसनीय विक्रेता से रुद्राक्ष खरीदें।
  • प्रमाण पत्र: यदि संभव हो तो, प्रमाणित रुद्राक्ष खरीदें।
  • परीक्षण: यदि आप रुद्राक्ष की प्रामाणिकता के बारे में निश्चित नहीं हैं, तो किसी जौहरी या अनुभवी व्यक्ति से इसका परीक्षण करवा लें।

एक मुखी रुद्राक्ष
सूर्य सिंह भगवान शिव
शोहरत, पैसा, सफलता पाने और ध्‍यान करने के लिए लाभकारी है। इसके अलावा एक मुखी रुद्राक्ष ब्‍लडप्रेशर और दिल से संबंधित रोगों से भी बचाता है।

मंत्र : ऊं ह्रीं नम:

पूरे ब्रह्मांड की कल्‍याणकारी वस्‍तुओं में एकमुखी रुद्राक्ष का नाम सर्वप्रथम आता है। ये रुद्राक्ष गंभीर पापों से मुक्‍ति दिलाता है। इसके प्रभाव में मनुष्‍य अपनी इंद्रियों को वश में कर ब्रह्म ज्ञान की प्राप्‍ति की ओर अग्रसर होता है।धन प्राप्‍ति में भी एकमुखी रुद्राक्ष फायदेमंद साबित होता है।

दो मुखी रुद्राक्ष
चंद्रमा कर्क अर्धनारीश्वकर
आत्‍मविश्‍वास और मन की शांति की प्राप्‍ति के लिए।

सर्दी-जुकाम, तनाव और स्‍नायु तंत्र के विकार और अच्‍छी नींद के लिए।

मंत्र : ऊं नम:

दो मुखी रुद्राक्ष में साक्षात् शिव और पार्वती बसते हैं। इसे धारण करने के बाद आप अपनी सारी समस्‍याएं ईश्‍वर पर छोड़ दें, वही आपके बिगड़े काम संवारेंगें।दांपत्‍य जीवन को सुखी बनाने के लिए दो मुखी रुद्राक्ष अत्‍यंत लाभकारी है।

तीन मुखी रुद्राक्ष
मंगल मेष और वृश्चिगक अग्निर देव
मन की शुद्धि और स्‍वस्‍थ जीवन के लिए।

मंत्र : ऊं क्‍लीं नम:

तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्‍नि देव का स्‍वरूप कहा गया है। जिस प्रकार अग्‍नि के संपर्क में आने से स्‍वर्ण भी शुद्ध हो जाता है ठीक उसी प्रकार तीन मुखी रुद्राक्ष भी धारणकर्ता के शरीर को शुद्ध करता है।

चार मुखी रुद्राक्ष
बुध मिथुन और कन्‍या ब्रह्म देव
मानसिक क्षमता, एकाग्रता और रचनात्‍मकता के लिए।

मंत्र : ऊं ह्रीं नम:

चार मुखी रुद्राक्ष के प्रभाव से ज्ञान और संतान प्राप्‍ति के मार्ग में आ रही समस्‍याएं दूर होती हैं। ये एकाग्रता बढ़ाता है एवं वैज्ञानिक अध्‍ययन और धार्मिक ग्रंथों के अध्‍ययन में चार मुखी रुद्राक्ष काफी फायदेमंद साबित होता है।

पांच मुखी रुद्राक्ष
बृहस्‍पति धनु और मीन भगवान कालाग्नि रुद्र
ध्‍यान और आध्‍यात्‍मिक कार्यों के लिए उत्तम है।

रक्‍तचाप, एसिडिटी और ह्रदय संबंधी रोगों के लिए।

मंत्र : ऊं ह्रीं नम:

पांच मुखी रुद्राक्ष पर पंच देवों की कृपा बरसती है जिस कारण यह पंच तत्‍वों से निर्मित दोषों का नाश करता है। पांच मुखी रुद्राक्ष मानसिक शांति प्रदान कर मन के रोगों को दूर करता है। गृहस्‍थ जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

छह मुखी रुद्राक्ष
शुक्र तुला और वृष भगवान कार्तिकेय
ज्ञान, बुद्धि, संचार कौशल और आत्‍मविश्‍वास के लिए।

मंत्र : ऊं ह्रीं हूं नम:

इसके प्रभाव से बुद्धि तेज होती है और ज्ञान की प्राप्‍ति होती है।छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से ब्रह्महत्‍या जैसे जघन्‍य पाप से मुक्‍ति मिलती है। जिन लोगों के वैवाहिक जीवन में प्रेम की कमी है या अलगाव की स्थिति है तो उन्‍हें छह मुखी रुद्राक्ष से अवश्‍य ही लाभ होगा।

सात मुखी रुद्राक्ष
शनि मकर और कुंभ मां लक्ष्‍मी
आर्थिक और करियर में विकास के लिए।

हड्डियों और नसों एवं गर्दन दर्द से मुक्‍ति पाने के लिए।

मंत्र : ऊं हूं नम:

सात मुखी रुद्राक्ष चोरी के आरोप से मुक्‍त करता है। नौकरी और व्‍यापार में सफलता पाना चाहते हैं तो सात मुखी रुद्राक्ष से आपको लाभ होगा और भाग्‍योदय होगा। सात मुखी रुद्राक्ष के प्रभाव में धन का आगमन होता है

आठ मुखी रुद्राक्ष
राहु भगवान गणेश
करियर में आ रही बाधाओं और मुसीबतों को दूर करने के लिए।

कमर दर्द, शरीर में दर्द और किडनी और लिवर संबंधी समस्‍याओं के लिए।

मंत्र : ऊं हूं नम:

आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से भय और अकाल मृत्‍यु का डर समाप्‍त हो जाता है।ऐसा माना जाता है कि आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्‍यक्‍ति मृत्‍यु के पश्‍चात् भगवान शंकर के गणों में शामिल होता है। आठ मुखी रुद्राक्ष बुद्धि, ज्ञान, धन, यश और उच्च पद की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होता है।

नौ मुखी रुद्राक्ष
केतु मां दुर्गा
ऊर्जा, शक्‍ति, साहस और निडरता पाने के लिए।

पेट और त्‍वचा संबंधित समस्‍याओं से छुटकारा पाने हेतु।

मंत्र : ऊं ह्रीं हूं नम:

नौ मुखी रुद्राक्ष से धन सम्पत्ति, मान-सम्मान, यश, कीर्ति और सभी प्रकार के सुखों की वृद्धि होती है। नौ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से आंखों की दृष्टि तेज होती है। ये मनुष्‍य को मानसिक और भौतिक दुखों से बचाता है।

दस मुखी रुद्राक्ष
भगवान विष्‍णु
नकारात्‍मक शक्‍तियों और नज़र दोष से बचाता है। वास्‍तु और कानूनी मामलों से रक्षा।

इंसोमनिया से बचाव के लिए।

मंत्र : ऊं ह्रीं नम:

दस मुखी रुद्राक्ष भूत-प्रेत, डाकिनी और पिशाचिनी जैसी बुरी शक्‍तियों से बचाता है। दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से दमा, गठिया, पेट और नेत्र संबंधी रोग दूर होते हैं। यह रुद्राक्ष ग्रह दोष को भी दूर करता है।

ग्‍यारह मुखी रुद्राक्ष
मंगल मेष और वृश्चिगक हनुमान जी
आत्‍मविश्‍वास में बढ़ोत्तरी, निर्णय लेने की क्षमता, क्रोध नियंत्रण और यात्रा के दौरान नकारात्‍मक ऊर्जा से सुरक्षा पाने के लिए।

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए।

मंत्र : ऊं ह्रीं हूं नम:

ग्‍यारह मुखी रुद्राक्ष से आय के स्रोत खुलते हैं और व्‍यापार में वृद्धि होती है एवं नए अवसर प्राप्‍त होते हैं। रोग से मुक्‍ति मिलती है। ग्‍यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्‍यक्‍ति को राजनीति, कूटनीति और हर क्षेत्र में विजय हासिल होती है। संतान प्राप्‍ति की इच्‍छा रखते हैं या पति की तबियत खराब रहती है तो ग्‍यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

बारह मुखी रुद्राक्ष
सूर्य सिंह सूर्य भगवान
नाम, शोहरत, सफलता प्राप्‍त होती है एवं इसे धारण करने से प्रशासनिक कौशल और नेतृत्‍व करने के गुणों का विकास होता है।

ह्रदय संबंधित परेशानियों में लाभकारी है।

मंत्र : ऊं रों शों नम: ऊं नम:

राजनीति या सरकारी क्षेत्रों में काम कर रहे जातकों को बारह मुखी रुद्राक्ष से लाभ मिलता है।बारह मुखी रुद्राक्ष असाध्‍य और भयानक रोगों से मुक्‍ति दिलाता है। ह्रदय रोग, उदर रोग व मस्तिष्क से सम्बन्धित रोगों में बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ होता है।

तेरह मुखी रुद्राक्ष
शुक्र तुला और वृष इंद्र देव
आर्थिक स्थिति को मजबूत कर आपके आकर्षण और तेज में वृद्धि करता है।

मधुमेह और यौन रोगों में लाभकारी।

मंत्र : ऊं ह्रीं नम:

तेरह मुखी रुद्राक्ष वैवाहिक जीवन के लिए अति उत्‍तम होता है। तेरह मुखी रुद्राक्ष निसंतान दंपत्तियों को संतान प्राप्‍ति का आशीर्वाद प्रदान करता है। तेरह मुखी रुद्राक्ष वशीकरण का सकारात्‍मक तरीका है। इस रुद्राक्ष से प्रेम सुख मिलता है।

चौदह मुखी रुद्राक्ष
शनि मकर और कुंभ भगवान शिव
छठी इंद्रीय जागृत कर सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।

मंत्र : ऊं नम:

चौदह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्‍यक्‍ति को कभी भी जेल जाना नहीं पड़ता। भगवान शिव भी चौदह मुखी रुद्राक्ष ही धारण करते हैं इसलिए इस रुद्राक्ष का अत्‍यंत महत्‍व है।चौदह मुखी रुद्राक्ष पक्षाघात की चिकित्सा के लिए अत्यंत हितकारक है।

गणेश रुद्राक्ष
भगवान गणेश
मंत्र : ऊं श्री गणेशाय नम:

महत्‍व

ज्ञान, बुद्धि और एकाग्रता में वृद्धि होती है।

गणेश रूद्राक्ष पहने हुए एक व्यक्ति को जीवन के सभी क्षेत्रों में से सफलता प्राप्त होती है। गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से सभी तरह के क्‍लेशों से मुक्‍ति मिलती है। गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से केतु के अशुभ प्रभावों से भी मुक्‍ति मिलती है।

गौरी शंकर रुद्राक्ष
चंद्रमा कर्क शिव-पार्वती
परिवार में सुख-शांति आती है और मानसिक शांति का अनुभव होता है।

मंत्र : ऊं गौरी शंकराय नम:

गृहस्‍थ सुख के लिए गौरी शंकर रुद्राक्ष अति शुभ माना जाता है।जिन स्त्रियों को गर्भ से सम्बंधित कोई समस्या हो उनके लिए भी यह लाभकारी हो सकता है। जिन लोगों के विवाह में देरी हो रही हो या कोई बाधा आ रही है तो उन्‍हें गौरी रुद्राक्ष धारण करने से अवश्‍य ही फायदा पहुंचता है।

Types of Rudraksha and its benefits in Hindi, 1 to 21 Mukhi Rudraksha.

रुद्राक्ष को किसी न किसी रूप में बेहद लाभकारी बताया गया है. हर रुद्राक्ष के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक कुछ धारियां खिंची होती हैं, इन्हें मुख कहा जाता है।

  1. एकमुखी रुद्राक्ष एकमुखी रुद्राक्ष दुर्लभ माना जाता है. इसे साक्षात् श‍िव बताया गया है, माना जाता है कि इसे धारण करने से व्यक्‍त‍ि को यश की प्राप्त‍ि होती है।
  2. दो मुखी रुद्राक्ष दो मुखी रुद्राक्ष को देवी और देवता, दोनों का स्वरूप बताया गया है. इसे धारण करने से कई तरह के पाप दूर होते हैं।
  3. तीन मुखी रुद्राक्ष तीन मुखी रुद्राक्ष को अनल (अग्न‍ि) के समान बताया गया है।
  4. चतुर्मुखी रुद्राक्ष चार मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा का रूप बताया गया है. बताया गया है कि इसे धारण करने से ब्रह्म हत्या का पाप नष्ट हो जाता है।
  5. पंचमुखी रुद्राक्ष पंचमुखी रुद्राक्ष को स्वयं रुद्र कालाग्नि‍ के समान बताया गया है. इसे धारण करने से शांत व संतोष की प्राप्त‍ि होती है।
  6. छह मुखी रुद्राक्ष छह मुख वाले रुद्राक्ष को कार्तिकेय का रूप कहा गया है. इसे दाहिने हाथ में पहनना चाहिए।
  7. सात मुखी रुद्राक्ष सात मुखी रुद्राक्ष को अनंग बताया गया है. इसे धारण करने से सोने की चोरी आदि के पाप दूर हो जाते हैं।
  8. आठ मुखी रुद्राक्ष अष्टमुखी रुद्राक्ष को गणेशजी का स्वरूप कहा गया है. इसे धारण करने से पाप और अन्य तरह के क्लेश दूर होते हैं।
  9. नौ मुखी रुद्राक्ष नौ मुखी रुद्राक्ष को भैरव कहा गया है. इसे बाईं भुजा में पहनना चाहिए. इसे धारण करने वाले को भोग और मोक्ष की प्राप्त होती है।
  10. दशमुखी रुद्राक्ष दशमुखी रुद्राक्ष को जनार्दन या विष्णु का स्वरूप बताया गया है. इसे धारण करने से मनुष्य के सभी ग्रह शांत रहते हैं और उसे किसी तरह का भय नहीं सताता है।
  11. ग्यारह मुखी रुद्राक्ष ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् रुद्र कहा गया है. जो इसे श‍िखा में धारण करता है, उसे कई हजार यज्ञ कराने का फल मिलता है।
  12. बारह मुखी रुद्राक्ष बारह मुखी रुद्राक्ष कान में धारण करना शुभ बताया गया है. इसे धारण करने से धन-धान्य और सुख की प्राप्ति‍ होती है।
  13. तेरह मुखी रुद्राक्ष तेरह मुखी रुद्राक्ष के बारे में कहा गया है कि अगर यह मिल जाए, तो सारी कामनाएं पूरी कराने वाला होता है।
  14. चौदह मुखी रुद्राक्ष चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य श‍िव के समान पवित्र हो जाता है. इसे सिर पर धारण करना चाहिए।

जानिये किस राशि के अनुसार रुद्राक्ष कौन सा मुखी रुद्राक्ष लाभकारी है? (which rudraksha is for which rashi?)
मेष : मेष राशि वालों को तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

वृष : वृष राशि वालों के लिए छः मुखी रुद्राक्ष धारण करना अच्छा रहता है।

मिथुन : मिथुन राशि वालों के लिए चार मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी है।

कर्क : कर्क राशि वालों को दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

सिंह : सिंह राशि के जातकों को 12 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

कन्या : कन्या राशि वालों को चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

तुला : तुला राशि वालों के आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करना अच्छा माना जाता है।

वृश्चिक : वृश्चिक राशि वालों के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।।

धनु : धनु राशि वालों के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष सही रहता है।

मकर : मकर राशि के जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

कुम्भ : कुम्भ राशि वालों के लिए आठ मुखी रुद्राक्ष अच्छा होता है।

मीन : मीन राशि वालों को दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

1 से 21 मुखी रुद्राक्ष के लाभ (1 to 21 mukhi rudraksha benefits)
एक मुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of ek mukhi rudraksha)
एकमुखी रुद्राक्ष का संबंध सीधे भगवान शिव से है। एक मुखी सभी रुद्राक्षों में सबसे अधिक प्रभावशाली है क्योंकि इसमें भगवान शिव की परम शक्ति समाहित है।

धारण मंत्र–‘ॐ ह्रीं नम:’

1 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे (Ek mukhi rudraksha ke fayde)
एकमुखी Rudraksha का संबंध शिव से है जिसे, धारण करने ब्रह्महत्या जैसे दोष तक समाप्त हो जाते है।
इससे व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि आती है और उस घर से सभी तरह के उपद्रव नष्ट हो जाते हैं।
वहां लक्ष्मी सदैव के लिए निवास करती है।
रूद्र सहिंता में इसका वर्णन कुछ इस प्रकार दिया गया है कि जिस घर में एक मुखी Rudraksha का वास होता है उस घर में दरिद्रता, आर्थिक संकट का वास नहीं होता है।
एक मुखी रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें? ( Ek mukhi rudraksha kaisa hota hai?)
इसकी सबसे बड़ी पहचान यह है कि यह आधे काजू के आकार में दिखाई देता है और इसमें एक ही धारी होती है।
एक मुखी रुद्राक्ष को गर्म पानी में उबालें अगर वह रंग छोड़ने लगे तो वह असली नहीं है।
सरसों के तेल में डुबोकर रखने से भी इसकी असली पहचान की जा सकती है यदि रुद्राक्ष का रंग गहरा दिखाई दे।
दो मुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 2 mukhi rudraksha)
2 मुखी रुद्राक्ष का सम्बन्ध चन्द्रमा से हैं।
और, जैसा की आपको पता होंगा की “चंद्रमा मनसो जात:” यानी चंद्रमा मन का कारक हैं।
इसलिए 2 मुखी रुद्राक्ष का सीधा सम्भंध मन से हैं।
और, अर्द्धनारीश्वर से भी हैं। तथा, इसे देवेशवर भी कहाँ जाता हैं।
माता पार्वती और शिव का एकत्र रूप हैं अर्द्धनारीश्वर
२ मुखी रुद्राक्ष धारण करने का शुभ दिन – सोमवार!
क्युकी, सोमवार से चन्द्रमा का सम्बन्ध हैं। (source)
धारण मंत्र–‘ॐ नम:’

2 मुखी रुद्राक्ष पहनने से क्या फायदा होता है? (2 mukhi rudraksha ke fayde) (2 mukhi rudraksha benefits in hindi)
इसके फायदों की बात करें तो द्विमुखी Rudraksha धारण करने से जन्मों के संचित पाप खत्म हो जाते हैं।
जो भी व्यक्ति इस प्रकार के Rudraksha को पहनता है वह ग्यारह वर्षों में भगवान शिव के बराबर समता प्राप्त कर लेता है।
जो व्यक्ति पांच वर्षों तक इसे धारण कर स्तोत्र का पाठ करता है उसकी कोई कामना बचती नहीं है सब पूर्ण हो जाती है।
नारद पुराण के अनुसार जो भी द्विमुखी Rudraksha को धारण करता है वह अक्षत यौनदृढ़ता को प्राप्त करता है।
यह रचनात्मकता और सफलता के लिए बहुत लाभकारी है।
2 मुखी रुद्राक्ष को पहनने से 108 गाय दान का पुण्य मिलता है।
महा शिव पुराण के अनुसार, इसे धारण करने से हर परेशानी दूर हों जाती है।
यह रुद्राक्ष सुखी पारिवारिक जीवन के लिए भी लाभकारी है।
2 मुखी रुद्राक्ष का सीधा सम्भंध मानसिक स्थिति से है। इसलिए एक बेहतर सोच-विचार के लिए बहुत उपयोगी है।
इसके फायदों को यदि एक श्लोक में समेटा जाए तो ये कुछ इस प्रकार है
द्विवस्त्रों देव देवेशो गोबधं नाश्येदध्रुवं

त्रिमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 3 mukhi rudraksha)
तीन मुख वाले Rudraksha का संबंध अग्नि से है। यह त्रि-शक्तियों ब्रह्मा-विष्णु-महेश से संबंधित है जिस कारण इसकी व्याख्या संस्कृत में कुछ इस प्रकार की गई है :

त्रिवक्योग्निस्य विज्ञेयःस्त्री हत्या च व्यपोहति

धारण मंत्र- ‘ॐ क्लीं नम:’

3 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे (3 mukhi rudraksha ke fayde)
तीन शक्तियों का सम्मिश्रण होने के कारण यह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्रदान करने वाला माना जाता है।
इसे केवल धारण करने से व्यक्ति कई प्रकार की विधाओं और कलाओं में निपुण हो जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति त्रिशक्ति रुपी प्राण- प्रतिष्ठित रुद्राक्ष धारण करता है उसकी सभी मनोकमनाएं पूरी होती है।
इससे पिछले जन्म और इस जन्म के पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है।
इसके अलावा नकारात्मक विचार, अपराध बोध, हीनभावना कम होती है।
इससे रक्तचाप की समस्या, कमजोरी और पेट से संबंधित बीमारी का भी उपचार होता है।
चतुर्मुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 4 mukhi rudraksha )
चार मुखी rudraksha का संबंध ब्रह्मा जी से माना जाता है। इस संसार के सभी पदार्थों के जड़-चेतन स्वामी ब्रह्मा जी को ही बताया गया है।

धारण मंत्र-‘ॐ ह्रीं नम:’

4 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे ( 4 mukhi rudraksha benefits in hindi)
इसे धारण करने वाला व्यक्ति ब्रह्मा जी की भांति निर्माण कार्यों में लीन हो जाता है और उसी दिशा में कार्य करना आरम्भ कर देता है।
चार मुखी rudraksha व्यक्ति को चार फलों धन, काम, धर्म और मोक्ष प्रदान करता है।
इस प्रकार के rudraksha का प्रयोग किये जाने से प्रेत बाधा, नक्षत्र बाधा, तनाव और मानसिक समस्याएं दूर हो सकती हैं।
स्वास्थ्य के लाभों के सन्दर्भ में इसे देखें तो इससे पीत ज्वर, श्वांस रोग, गर्भस्थ शिशु दोष, बांझपन और नपुसंकता जैसी बीमारियां दूर हो जाती है।
चार मुखी रुद्राक्ष से व्यक्ति को मेधावी आँखें प्राप्त होती है और वह तेजस्वी बनता है।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे मानसिक संतुलन स्थिर रहता है।
4 मुखी रुद्राक्ष की पहचान क्या है? ( 4 mukhi rudraksha identification)
रुदाक्ष की धारियों के अनुसार पहचान होती हैं जैसे, एक रुद्राक्ष मे जितनी धारिया पड़ी होती हैं वह उतने मुखी रुद्रक्षा कहलाता है।
इसलिए 4 मुखी रुदाक्ष की पहचान उसमें पड़ी 4 धारिया से होती है।
इंडोनेशिया और नेपाल में मुख्यतः 4 मुखी रुद्राक्ष के पेड़ पाए जाते है।
इंडोनेशिया के 10 मुखी रुद्राक्ष के पेड़ के दाने 4 से 15 मिलीमीटर व्यास वाले होते हैं।
नेपाल के 10 मुखी रुद्राक्ष के पेड़ के दाने 10 से 33 मिलीमीटर व्यास वाले होते हैं।
पंचमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 5 mukhi rudraksha)
5 mukhi rudraksha का संबंध भगवान शिव के सबसे कल्याणकारी स्वरुप महादेव से है जो वृष पर विराजमान है और जिनके पांच मुख है पांच मुखों में से चार मुख सौम्य प्रवृति के हैं जबकि दक्षिण की ओर किया हुआ मुख भयंकर रूप धारण किये हुए है।

महादेव के पांच कार्य हैं- सृष्टि, पालन, संहार, तिरोभाव, अनुग्रह। यह सभी कार्य करने के लिए भगवान शिव के पांच मुख है और इन्हीं पांच मुखों से ॐ नमः शिवाय मंत्र का उद्भव हुआ है।

बताते चलें कि यही मंत्र पंचमुखी rudraksha का प्राण मंत्र माना जाता है।

धारण मंत्र–ॐ ह्रीं क्लीं नम:

5 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे (5 mukhi rudraksha benefits in hindi)
पंचमुखी rudraksha कालाग्नि नामक रूद्र है,यह भौतिक और दैहिक रोग को समाप्त करने में सहायक है।
यह सभी बुरे कर्मों को नष्ट कर देता है।
यह मधुमेह के रोगियों, स्तनशिथिलता, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, एसिडिटी जैसी बिमारियों से बचाव करने में सहायता करता है।
अगर इस तरह की पूरी माला धारण करना संभव न हो तो केवल पांच पंचमुखी rudraksha को गूंथ कर धारण कर लेना चाहिए
गुरु के प्रतिकूल प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए इसका प्रयोग किया जाना चाहिए।
5 मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम (5 मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि)

  1. 5 मुखी रुद्राक्ष को सोने या चांदी में मढ़वाकर या बगैर मढ़वाये भी पहन सकते है।
  2. सर्वप्रथम इसे गंगाजल या दूध से शुद्ध करना चाहिए।
  3. उसके बाद भगवान शिव की प्रतिमा के आगे धूप और दीपक जलाकर उपासना करें।
  4. उपासना के पश्चात इस मंत्र का 108 बार जाप करें। ‘ॐ ह्रीं नम:’
  5. इसे धारण करने के लिए श्रावण माह या सोमवार का दिन अधिक शुभ है।

6 . ध्यान रखने वाली यह है कि इसे पहनकर शमशान में या किसी शव यात्रा में नहीं जाना चाहिए।

5 मुखी रुद्राक्ष की पहचान (how to identify 5 mukhi rudraksha?)
रुद्राक्ष को पहचानने के दो तरीके हैं जिसमें से पहला तरीका तो, यह कि रुद्राक्ष को पानी में थोड़े समय के लिए उबाले यदि वह रंग न छोड़े तो वह असली है।
दूसरा तरीका है रुद्राक्ष को सरसों के तेल में रख दें और यदि रुद्राक्ष का रंग उसके रंग से थोड़ा गहरा दिखे तो भी यह उसके असली होने की एक निशानी है।
षट्मुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 6 mukhi rudraksha )
छः मुख वाले rudraksha का संबंध कार्तिकेय से है, इस प्रकार के rudraksha को धारण करने से भ्रूण हत्या जैसे पापों से व्यक्ति को मुक्ति मिल जाती है। कार्तिकेय के बारे में रूद्र सहिंता में वर्णन है कि इनका पालन पोषण 6 स्त्रियों द्वारा किया गया है जिस कारण उन्हें 6 मुख धारण करने पड़े थे ताकि वे सभी को वात्सलयता प्रदान कर सकें।

धारण मंत्र-’ॐ ह्रीं ह्रुं नम:’

6 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे (6 mukhi rudraksha benefits in hindi)
भगवान कार्तिकेय 6 विधाओं पूरब, पश्चिम, उतर, दक्षिण, उर्धव और पाताल के धनी है जिस कारण जो भी इसे धारण करता है वो इन 6 प्रतिभा का स्वतः ही धनी बन जाता है।
इस का संबंध शुक्र ग्रह से है जो भोग विलास के मालिक हैं अतः जिस भी व्यक्ति का जन्मनक्षत्र शुक्र हो उन्हें यह धारण करना चाहिए।
नेत्र से संबंधित रोग जैसे मोतियाबिंद, दृष्टि दोष, रतौंधी आदि से निजात मिल सकती है।
इस प्रकार की rudraksha माला को बच्चों को पहनाने से उनकी नेत्र ज्योति हमेशा बनी रहेगी।
इससे बुद्धि का विकास और अभिव्यक्ति में कुशलता आती है।
इसे धारण किये जाने से व्यक्ति में इच्छाएं व आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती हैं।
व्यक्ति को शौर्य और प्रेम हासिल होता है।
मुख, गले और मूत्र रोग से छुटकारा पाने में लाभकारी है।
सप्तमुखी रुद्राक्ष का महत्व (importance of 7 mukhi rudraksha)
सात मुखों वाली rudraksha माला के बारे में कहा जाता है कि यह अनंत है इसलिए इसे महासेन अन्तादि गणों के नाम से भी जाना जाता है।

धारण मंत्र-’ॐ हुं नम:’

7 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे (7 mukhi rudraksha benefits in hindi)
सप्तमुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व शनिदेव करते हैं यदि शनि के प्रतिकूल प्रभाव से कोई व्यक्ति पीड़ित है तो इसके प्रयोग से समस्या से निजात पाया जा सकता है।
सेवा, नौकरी और व्यापार करने वालों के यह लाफ़ी लाभदायक है।
यह शारीरिक दुर्बलता, अंगहीनता, विकलांगता, लकवा, मिर्गी आदि रोगों से छुटकारा दिलाने में सहायक है।
इससे व्यक्ति के जीवन में प्रगति, कीर्ति और धन की वर्षा होती है।
इसे धारण करने वालो को गुप्त धन की प्राप्ति होती है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 8 mukhi rudraksha)
अष्टमुखी rudraksha का सीधा सम्बन्ध सिद्धिविनायक भगवान गणेश से है और, संसार के सभी जघन्य पापों को माफ़ कर देने वाले विनायक अपने भक्तों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते है।

धारण मंत्र-’ॐ हुं नम:’

8 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे ( 8 mukhi rudraksha benefits in hindi )
अष्टमुखी rudraksha छायाग्रह से सम्बन्ध रखता है अर्थात इसके प्रयोग से राहु दोष से पीड़ित लोगों को राहत मिलती है। साथ ही भगवान गणेश की कृपा बानी रहती है।
इस rudraksha को पहनने वाला व्यक्ति तेजस्वी, बलशाली, बुद्धिमान व्यक्तित्व वाला बनता है।
इसके प्रयोग से फेफड़े का रोग, चर्म रोग, सर्पदंश भय से मुक्ति मिलती है।
यह rudraksha सौंदर्य वृद्धि करता है यह दोनों ही रूपों बाहरी और आंतरिक सुंदरता बढ़ाने में सहायक है।
यह बुद्धि विकास और गणना शक्ति प्रदान करता है।
कला में निपुणता और प्रतिनिधित्व कौशल में वृद्धि होगी।
इससे नाड़ी संबंधित रोग से छुटकारा मिलता है।
नौमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 9 mukhi rudraksha)
नौ मुख वाले इस rudraksha का सम्बन्ध भैरव से है, इसकी अधिष्ठात्री देवी अम्बे है और अष्टमुखी का यह स्वरुप कपिल है। नौ देवियों के रूप वाला यह रुद्राक्ष नवदुर्गा के सभी नौ रूपों की शक्तियों को समाहित किये हुए है।

धारण मंत्र–’ॐ ह्रीं ह्रुं नम:’

9 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे ( 9 mukhi rudraksha benefits in hindi )
यह rudraksha के प्रयोग से वैवाहिक बाधा, संतानोत्पत्ति में बाधा, व्यापार में किसी तरह की अड़चन समाप्त हो जाती है।
इससे राहु पीड़ित दोष, नेत्र रोग, फोड़े-फुंसी आदि से छुटकारा मिल सकता है।
किसी बच्चे के गले में 9 मुखी rudraksha माला को पहनाने से बच्चे के निकट श्वांस और नेत्र सम्बन्धी बीमारियां नहीं आती है।[3]
दसमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 10 mukhi rudraksha )
दसमुखी rudraksha भगवान विष्णु यानी जनार्दन का प्रतिनिधित्व करता है जो पूरे ब्रह्माण्ड के संचालक है।

10 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे
दसमुखी rudraksha माला को धारण करने वाला व्यक्ति और उसका परिवार सदैव भगवान विष्णु की छत्रछाया में रहता है और विष्णु जी एक सरंक्षक के तौर पर उनकी रक्षा करते हैं।
इस rudraksha पर यमराज की भी कृपा दृष्टि बनी हुई है, इसके प्रयोग से व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो सकता है।
प्रसव काल (प्रसव का अर्थ होता है जनन या बच्चे को जन्म देना से ठीक पहले) यदि इस दसमुखी rudraksha माला को स्त्री की कमर में बाँध दिया जाए तो इससे प्रसव क्रिया कम कष्ट पूरी होती है।
मिर्गी, हकलाना, सूखा रोग जैसी बिमारियों से व्यक्ति को छुटकारा मिलता है।
दस मुखी रुद्राक्ष काला जादू, भूत-प्रेत और अकेलेपन आदि के भय से छुटकारा दिलाता है।
तनाव और अनिद्रा की शिकायत रखने वालों के लिए यह लाभकारी है।
नवग्रह की शान्ति और वास्तु दोषों को समाप्त करने में मुख्य भूमिका निभाता है।
किसी भी प्रकार की कानूनी समस्या से निपटने के लिए और व्यापार में हो रही समस्याओं से निजात दिलाता है।
सम्मान शांन्ति और सौंदर्य मिलता है।
कान और हृदय की बीमारियों में राहत मिलती हैं
विवाह में परेशानी और बृहस्पति ग्रह से सम्बन्ध रखने वालों को दसमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।[4]
10 मुखी रुद्राक्ष की पहचान क्या है?
10 धारियों वाला रुद्राक्ष 10 मुखी रुद्राक्ष कहलाता हैं। रुद्राक्ष के पेड़ मुख्यता इण्डोनेशिआ और नेपाल में होते हैं।
इंडोनेशिया के 10 मुखी रुद्राक्ष के पेड़ के दाने 4 से 15 मिलीमीटर व्यास वाले होते हैं।
नेपाल के 10 मुखी रुद्राक्ष के पेड़ के दाने 10 से 33 मिलीमीटर व्यास वाले होते हैं। [5]
10 मुखी रुद्राक्ष धारण की विधि
पहले 10 मुखी रुद्राक्ष को गंगाजल में स्नान करवाए
इसके बाद 10 मुखी रुद्राक्ष को चन्दन लगाए, धूप दिखाए और सफ़ेद फूल चढ़ाए
इसके बाद 10 मुखी रुद्राक्ष को शिव जी की मूर्ति या शिवलिंग से स्पर्श करवाए
और धारण मंत्र-’ॐ नम:शिवाय’ का 11 बार जाप करे [6]
एकादशमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 11 mukhi rudraksha)
ग्यारह मुखी rudraksha के बारे में स्कंदपुराण में भगवान शिव ने वर्णन करते हुए कहा कि इसका संबंध भगवान के रूद्र स्वरुप से है। जो भी जातक इसे धारण करते हैं उसे हज़ार अश्वमेध यज्ञ करने, सौ बाजपेय यज्ञ करने और चंद्रग्रहण में दान करने के बराबर फल प्राप्त होता है। इसमें भगवान शिव के सर्वश्रेष्ठ 11 अवतारों की शक्तियां समाहित हैं।

धारण मंत्र–’ॐ ह्रीं ह्रुं नम:’

11 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे
एकादशमुखी rudraksha धारण करने से भाग्योदय होता है। धन वृद्धि होती है साथ ही व्यक्ति पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है।
यह rudraksha अत्यंत दुर्लभ श्रेणी का है, मान्यता है कि इस प्रकार का rudraksha बहुत भाग्यवान लोगों को ही प्राप्त होता है।
इसे प्रयोग में लाने वाला व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो सकता है।
ग्यारह मुखी rudraksha कई गंभीर और लाइलाज बिमारियों जैसे कैंसर, पित्ताश्मरी, अपस्मार आदि रोगों का शमन करता है।
द्वादशमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 12 mukhi rudraksha )
बारह मुख वाले rudraksha का सीधा संबंध भगवान सूर्य से है। ऋग्वेद में सूर्य देवता के बारे में कहा गया है कि वे सभी नक्षत्रों, ग्रहों और राशिमंडल के राजा है जिनके होने से ही इस संसार में रोशनी विद्यमान है। सूर्य देवता की उपासना से बड़े से बड़े रोगों से निजात पाई जा सकती है जिसका प्रमाण सूर्य पुराण में उल्लेखित है।

धारण मंत्र-’ॐ क्रौं क्षौं रौं नम:’

12 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे
द्वादशमुखी rudraksha का प्रभाव बिल्कुल एक मुखी रुद्राक्ष के सामान है, एकमुखी rudraksha न होने पर 12 मुख वाले rudraksha को धारण किया जा सकता है।
जो भी बारहमुखी rudraksha माला को धारण करते हैं या कंठ में धारण करते है वे जो हत्या, नरहत्या, अमूल्य रत्नों की चोरी आदि पापों से मुक्त हो जाते हैं।
ह्रदय, त्वचा और आँखों से जुड़े रोगों, दाद, कुष्ठादि, स्फोट, रतौंधी, रक्त विकार संबंधी बिमारियों से छुटकारा मिलता है।
उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को यह जरुर धारण करना चाहिए।
इसे धारण करने से व्यक्ति हर प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है।
व्यक्ति निर्भीक बनता है और उसका आत्मतत्व बहुत मजबूत स्थिति में आ जाता है।
इससे जातक का आर्थिक पक्ष मजबूत होता है और वह दरिद्रता आदि से दूर रहता है
त्रयोदशमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 13 mukhi rudraksha)
तेरह मुखी rudraksha का प्रतिनिधित्व मां लक्ष्मी करती हैं। इस rudraksha को धारण करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।

धारण मंत्र-’ॐ ह्रीं नम:’

13 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे
यह rudraksha साधना, सिद्धि और भौतिक उन्नति के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
आयुर्वेद शास्त्रकारों ने त्रयोदशमुखी rudraksha को संजीवनी की संज्ञा है जिससे इसके औषधीय महत्व को समझा जा सकता है। यह कैंसर, रक्तचाप, लिंगदोष, योनिदोष आदि से बचाव करता है।
इसे धारण करने वाले व्यक्ति सभी प्रकार की महामारियों से बचे रहते है।
चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 14 mukhi rudraksha )
इस rudraksha का प्रतिनिधित्व भगवान हनुमान करते है। इसे धारण करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शिव ने अपनी लीलाओं को संपन्न करने के लिए हनुमान रुपी अवतार लिया था। संकट मोचक बन हनुमान अपने भक्तों का आज तक उद्धार कर रहे हैं।

धारण मंत्र-’ॐ नम:’

14 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे
हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति सभी संकटों का निर्भीक होकर सामना करते है।
मनुष्य के जीवन में मौजूद सभी आपदाएं तकरीबन नष्ट हो जाती हैं और व्यक्ति दिग्विजय रूप धारण कर लेता है।
इससे ह्रदय रोग, नेत्र रोग, अल्सर, मधुमेह और कैंसर आदि रोगों से छुटकारा मिलता है।
पंचदशमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 15 mukhi rudraksha )
यह rudraksha पशुपतिनाथ का स्वरुप माना गया है। भगवान पशुपतिनाथ आर्थिक मनोकामनाओं को पूरा करते है। यह अत्यंत दुर्लभ श्रेणी में आता है।

धारण मंत्र-‘ॐ श्रीं मनोवांछितं ह्रीं ॐ नमः’

षोडशमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 16 mukhi rudraksha)
सोलह मुखों वाला यह rudraksha महाकाल स्वरुप से संबंधित है। इसे धारण करने वाले काल भय से मुक्त रहते है। मान्यता तो यह भी है कि इसे धारण करने से सर्द मौसम में भी ठण्ड का एहसास नहीं होता है।

धारण मंत्र-‘ॐ हौं जूं सः’

सप्तदशी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 17 mukhi rudraksha)
सत्रह मुखों वाले इस rudraksha में मां कात्यायनी का वास होता है। इसे प्रकार के rudraksha को धारण करने से साधक इस लोक में रहकर अलौकिक शक्तियों को पा सकता है।

धारण मंत्र-‘ॐ ह्रीं हूं हूं नमः’

अष्टदशीमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 18 mukhi rudraksha)
17 मुखों वाले रुद्राक्ष का संबंध पृथ्वी से है जिस कारण इसे धारण करने वाला व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ तथा बुद्धिमान होता है। शिशु के रोगों से निवारण के लिए इस प्रकार के rudraksha का प्रयोग किया जाता है।

धारण मंत्र–‘ॐ ह्रीं हूं एकत्व रूपे हूं ह्रीं ॐ’

उन्नीसमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 19 mukhi rudraksha)
उन्नीस मुखों वाले rudraksha को क्षीर सागर में शयन कर रहे नारायण देवता का है। यह व्यापर में उन्नति और भौतिक सुखों के लिए उपयोग में लाया जाता है।

धारण मंत्र-‘ॐ ह्रीं हूं नमः’

बीसमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 20 mukhi rudraksha)
यह 20 मुखों वाला rudraksha भी दुर्लभ श्रेणी में आने वाले रुद्राक्षों में शामिल है। इसके अंतर्गत नवग्रह- सूर्य, सोम, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु समेत दिक्पालों तथा त्रिदेव की शक्तियां समाहित होती है।

धारण मंत्र–’ॐ ह्रीं ह्रीं हूं हूं ब्रह्मणे नमः’

इक्कीसमुखी रुद्राक्ष का महत्व ( importance of 21 mukhi rudraksha )
21मुखों वाला रुद्राक्ष कुबेर का प्रतिनिधित्व करता है और कुबेर की शक्तियां निहित होने के कारण जो भी इसे धारण करता है वह संसार की सभी सुख-समृद्धि और भोग-विलास का आनंद प्राप्त करता है। [4]

धारण मंत्र–’ॐ ह्रीं हूं शिव मित्राय नमः’

Types of Rudraksha and its benefits in Hindi, 1 to 21 Mukhi Rudraksha benefits

Rudraksha Mukhi Types and Benefits, Original Rudraksha ki Pahchan, How to Know Original Rudraksha?

Rudraksha Mukhi Types and Benefits

There are 1 to 21 mukhi (faced) Rudrakshas, with the most common being 1 to 14 mukhi varieties. Each type has unique benefits:

  • 1 Mukhi balances the Sahasrara chakra, providing mental clarity, spiritual connection, and faith. It symbolizes Lord Shiva and makes the wearer fearless.
  • 2 Mukhi represents the unity of Shiva and Parvati, harmonizing relationships. It frees the wearer from sins and helps find a suitable partner.
  • 3 Mukhi is ruled by Lord Agni, destroying sins and aiding entrepreneurs and real estate businesses. It helps resolve legal issues.
  • 5 Mukhi is safe and beneficial for general wellbeing, health, and freedom. It lowers blood pressure and is good for everyone.
  • 9 Mukhi is associated with Goddess Durga, providing mental and spiritual strength.
  • 14 Mukhi is one of the most precious, associated with Shiva and Hanuman. It offers immunity from sorrows and aids success.
  • 19 Mukhi opens all 7 chakras, leading to a happy and healthy life. It fulfills desires and brings wealth.

Original Rudraksha ki Pahchan (Identification)

  • Genuine Rudrakshas have a rough, wrinkled surface with visible furrows or mukhi.
  • The number of mukhi (faces) is determined by the vertical lines on the surface.
  • High-quality Rudrakshas are found at certain altitudes in the Himalayas, Nepal, Burma, Thailand, and Indonesia.
  • Rudrakshas mature in 15-16 years and contain 50.031% carbon, 0.95% nitrogen, 17.897% hydrogen, and 30.53% oxygen.

To identify an original Rudraksha:

  1. Look for a rough, wrinkled surface with visible mukhi (faces)
  2. Count the vertical lines to determine the number of mukhi
  3. Ensure the Rudraksha is from a reputable source, preferably from the Himalayan region

How to Know Original Rudraksha

  • Purchase Rudrakshas from trusted, established sellers who provide a certificate of authenticity.
  • Avoid round or perfectly shaped beads, as natural Rudrakshas have an irregular shape.
  • Genuine Rudrakshas are heavy for their size and have a distinct earthy aroma.
  • Soak the Rudraksha in water for a few days, then peel off the pulp to reveal the seed inside.

Rudraksha Mukhi Types and Benefits

Rudraksha is a seed traditionally used as prayer beads in Hinduism and Buddhism. Each Rudraksha bead has a number of facets, called “mukhi,” ranging from 1 to 21. The number of mukhis determines the type and the benefits of the Rudraksha. Here’s a summary of the various mukhi types and their associated benefits:

1. Ek Mukhi Rudraksha (One-Faced)

  • Ruling Deity: Lord Shiva
  • Benefits: Enhances concentration, cures diseases related to the nervous system, and brings spiritual growth. It is considered the most powerful and rare.

2. Do Mukhi Rudraksha (Two-Faced)

  • Ruling Deity: Ardhanarishvara (a composite form of Shiva and Parvati)
  • Benefits: Harmonizes relationships, especially between couples, balances emotions, and helps in overcoming conflicts.

3. Teen Mukhi Rudraksha (Three-Faced)

  • Ruling Deity: Lord Agni (the Fire God)
  • Benefits: Promotes self-confidence, clears past karma, and helps in achieving clarity in thoughts and actions.

4. Chaar Mukhi Rudraksha (Four-Faced)

  • Ruling Deity: Lord Brahma
  • Benefits: Enhances intellect, creativity, and knowledge. It is also beneficial for those in the education sector or creative fields.

5. Paanch Mukhi Rudraksha (Five-Faced)

  • Ruling Deity: Lord Kalagni (a form of Shiva)
  • Benefits: The most common type, it is good for general well-being, stress relief, and maintaining heart health.

6. Chhe Mukhi Rudraksha (Six-Faced)

  • Ruling Deity: Lord Kartikeya
  • Benefits: Increases willpower, stability, and focus. It also helps in overcoming fears and anxiety.

7. Saat Mukhi Rudraksha (Seven-Faced)

  • Ruling Deity: Goddess Lakshmi
  • Benefits: Brings wealth, prosperity, and good fortune. It is also said to help in reducing financial problems.

8. Aath Mukhi Rudraksha (Eight-Faced)

  • Ruling Deity: Lord Ganesha
  • Benefits: Removes obstacles, brings success in ventures, and enhances leadership qualities.

9. Nau Mukhi Rudraksha (Nine-Faced)

  • Ruling Deity: Goddess Durga
  • Benefits: Empowers the wearer with courage, confidence, and protection against negative energies.

10. Das Mukhi Rudraksha (Ten-Faced)

  • Ruling Deity: Lord Vishnu
  • Benefits: Protects against negative influences, promotes a peaceful mind, and helps in dealing with court cases or legal issues.

11. Gyarah Mukhi Rudraksha (Eleven-Faced)

  • Ruling Deity: Lord Hanuman
  • Benefits: Increases physical and mental strength, courage, and adventurous spirit. It also helps in controlling anger and aids in meditation.

12. Baarah Mukhi Rudraksha (Twelve-Faced)

  • Ruling Deity: Lord Surya (the Sun God)
  • Benefits: Provides radiance, vitality, and strength. It is said to help in overcoming chronic diseases.

13. Terah Mukhi Rudraksha (Thirteen-Faced)

  • Ruling Deity: Lord Kamadeva
  • Benefits: Attracts love, enhances charisma, and helps in fulfilling desires.

14. Chaudah Mukhi Rudraksha (Fourteen-Faced)

  • Ruling Deity: Lord Hanuman
  • Benefits: Enhances intuition, decision-making, and protection against evil spirits. It is also associated with spiritual awakening.

15. Gyarah Mukhi Rudraksha (Fifteen-Faced) and Beyond

  • Ruling Deity: Various, depending on the number of mukhis
  • Benefits: The higher mukhi beads are considered highly potent and are said to offer blessings of specific deities, spiritual awakening, and protection. They are rare and often associated with specific spiritual practices.

How to Identify Original Rudraksha (Original Rudraksha ki Pahchan)

Identifying a genuine Rudraksha bead can be tricky, as there are many fakes in the market. Here are some traditional methods to check the authenticity:

  1. Water Test:
    • Place the Rudraksha bead in a glass of water. If it sinks, it is generally considered genuine. However, this test is not foolproof.
  2. Milk Test:
    • Place the Rudraksha in unboiled milk. If the milk doesn’t spoil quickly, the Rudraksha is believed to be genuine.
  3. Density Test:
    • A genuine Rudraksha bead is heavier than it looks, indicating its high density.
  4. Visual Examination:
    • Check for natural holes or channels on the bead. An original Rudraksha will have a clear and defined mukhi (lines/facets).
  5. Copper Coin Test:
    • Rub the Rudraksha on a copper coin. If it leaves a mark, it is likely genuine.
  6. X-Ray Test:
    • Authentic Rudraksha beads will show the exact number of mukhi in an X-ray.
  7. No Insect Holes:
    • Genuine Rudraksha beads will not have insect holes, which are common in fake or damaged beads.

Rudraksha beads are valued for their spiritual and health benefits, and each mukhi has its unique significance. To ensure you’re getting a genuine Rudraksha, purchase from reputable sources and perform the above tests.

रुद्राक्ष मुखी प्रकार और लाभ, असली रुद्राक्ष की पहचान, असली रुद्राक्ष कैसे पहचानें?

रुद्राक्ष भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र बीज है। इसे इसके वैज्ञानिक गुणों और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। रुद्राक्ष के प्रत्येक मुखी के अलग-अलग लाभ होते हैं।

रुद्राक्ष मुखी प्रकार और उनके लाभ:

रुद्राक्ष मुखी बीज पर मौजूद रेखाओं की संख्या है। यह संख्या एक से लेकर कई तक हो सकती है। प्रत्येक मुखी संख्या अलग-अलग ग्रह और देवता से जुड़ी होती है।

  • एक मुखी: शिव को समर्पित, शांति और आध्यात्मिक विकास प्रदान करता है।
  • दो मुखी: चंद्र को समर्पित, मानसिक शांति और प्रतिरक्षा बढ़ाता है।
  • तीन मुखी: अग्नि देव को समर्पित, ऊर्जा और उत्साह बढ़ाता है।
  • चार मुखी: ब्रह्मा को समर्पित, ज्ञान और बुद्धि बढ़ाता है।
  • पांच मुखी: कुबेर को समर्पित, धन और समृद्धि देता है।
  • छह मुखी: कार्तिकेय को समर्पित, विजय और सफलता देता है।
  • सात मुखी: मातृशक्ति को समर्पित, स्वास्थ्य और लंबी उम्र देता है।
  • आठ मुखी: गणेश को समर्पित, समस्याओं को दूर करता है और नई शुरुआत देता है।
  • नौ मुखी: नवग्रहों को समर्पित, सभी प्रकार के दोषों को दूर करता है।
  • दस मुखी: विष्णु को समर्पित, मोक्ष प्राप्ति में मदद करता है।

असली रुद्राक्ष की पहचान:

असली रुद्राक्ष की पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि बाजार में कई नकली रुद्राक्ष उपलब्ध हैं। असली रुद्राक्ष की पहचान करने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें:

  • मुखी: असली रुद्राक्ष में मुखी स्पष्ट और समान होते हैं।
  • वजन: असली रुद्राक्ष भारी और ठोस होता है।
  • रंग: असली रुद्राक्ष का रंग काला, भूरा या गहरा लाल होता है।
  • चमक: असली रुद्राक्ष चमकदार होता है।
  • स्पर्श: असली रुद्राक्ष स्पर्श करने में मुलायम होता है।

असली रुद्राक्ष कैसे पहचानें?

  • एक्स-रे टेस्ट: यह सबसे विश्वसनीय टेस्ट है। इसमें रुद्राक्ष में कितने खांचे हैं यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
  • दृश्य निरीक्षण: रुद्राक्ष की मुखी, आकार और रंग का ध्यानपूर्वक निरीक्षण करें।
  • मैग्नीफाइंग ग्लास: मैग्नीफाइंग ग्लास की मदद से कृत्रिम रेखाओं और चिपके हुए सतहों का निरीक्षण करें।
  • एक मुखी रुद्राक्ष: एक मुखी रुद्राक्ष पूरी तरह से गोल नहीं होता है।

कुछ सामान्य गलत तरीके:

  • पानी परीक्षण: यह परीक्षण विश्वसनीय नहीं है।
  • दो सिक्कों के बीच घुमाना: यह परीक्षण विश्वसनीय नहीं है।
  • दूध परीक्षण: यह परीक्षण विश्वसनीय नहीं है।

महत्वपूर्ण:

  • असली रुद्राक्ष खरीदते समय हमेशा विश्वसनीय विक्रेता से खरीदें।
  • रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसकी पूजा करना आवश्यक है।
  • रुद्राक्ष को नियमित रूप से साफ पानी से धोएं और साफ कपड़े से पोंछें।

नोट: रुद्राक्ष धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके वैज्ञानिक लाभों पर अभी भी शोध चल रहा है।

अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें।