उज्जैन में सिंहस्थ: स्थायी कुंभ नगरी के लिए जमीन नहीं देना चाहते किसान
उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ 2028 की तैयारियों के लिए जमीन अधिग्रहण का मुद्दा गरमाया हुआ है। प्रशासन सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी सुविधाएं जैसे सड़कें, बिजली, पानी और नालियों का निर्माण करने के लिए कुछ जमीन लेना चाहता है, जिससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकें और आयोजन भव्य हो सके। हालांकि, कुछ किसान इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी आजीविका प्रभावित होगी।
उज्जैन में 2028 के सिंहस्थ महाकुंभ की तैयारियों के लिए जमीन अधिग्रहण का मुद्दा गरमाया हुआ है। प्रशासन ने सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी सुविधाएं विकसित करने के लिए कुछ जमीन अधिग्रहित करने का फैसला किया है, जिसमें सड़क, बिजली, पानी और नालियों की व्यवस्था शामिल है। हालांकि, कुछ किसान इस जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं क्योंकि वे अपनी आजीविका को प्रभावित होते हुए देख रहे हैं।
प्रशासन की योजना और किसानों की चिंताएं:
प्रशासन की योजना: स्थायी सुविधाओं के निर्माण से सिंहस्थ क्षेत्र का विकास होगा और यह हरिद्वार कुंभ की तरह भव्य आयोजन बनेगा। उज्जैन विकास प्राधिकरण 2378 हेक्टेयर भूमि पर एक स्थायी कुंभ नगरी विकसित कर रहा है, जिसमें 200 फीट चौड़ी सड़कें और हाईटेक सुविधाएं होंगी।
किसानों की चिंताएं: किसानों का मानना है कि जमीन अधिग्रहण से उनकी रोजी-रोटी पर संकट आएगा और वे अपनी जमीन छोड़ना नहीं चाहते। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है और शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया है।
किसानों का मानना है कि जमीन अधिग्रहण से उनकी रोजी-रोटी पर संकट आएगा और वे अपनी जमीन छोड़ना नहीं चाहते हैं। उन्होंने एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों पर विचार करने का आग्रह किया है।
साधु-संतों का समर्थन: साधु-संतों ने प्रशासन के इस कदम का समर्थन किया है और कहा है कि स्थायी निर्माण से सिंहस्थ का स्वरूप बदल जाएगा और यह आयोजन भव्य व ऐतिहासिक होगा। उन्होंने प्रशासन से किसानों की चिंताओं का समाधान करने की भी अपील की है।
इस पूरे मामले में प्रशासन को किसानों और साधु-संतों के बीच सामंजस्य बिठाने की चुनौती है ताकि आयोजन शांतिपूर्ण और सुचारू रूप से हो सके।